5 किलोमीटर तक लंबी कतारें लगी हैं अनाज बेचने के लिए

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

मोगा : पंजाब और हरियाणा के कैथल जिले में मोगा के पास किसानों की कतारें लग रही हैं, वाहनों की कतारें 5 किलोमीटर तक लंबी हो रही हैं, ताकि किसान उच्च तकनीक वाले अनाज भंडारण की सुविधा का लाभ उठा सकें।

अभी कुछ समय पहले फरवरी 2021 में, सरकार के कृषि बिलों के बढ़ते विरोध के बीच, यही किसान थे, जो पंजाब के मोगा में मालगाडियों को रोक रहे थे। डगरू रेलवे स्टेशन पर एकत्र हुए आंदोलनकारियों ने अदाणी ग्रुप द्वारा गांव में स्थापित गोदाम को जाने वाली अनाज से लदी एक ट्रेन को रोक दियाथा।
किसानों के अनुसार, बहुचर्चित तीनों कृषि बिल बड़े कॉरपोरेट के पक्ष में एकतरफा थे क्योंकि माना जा रहा था कि ये बिल एमएसपी के प्रावधान को हटाने के लिए थेजो किसानों को कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देते और उपज की कीमत कॉरपोरेट अपनी ही शर्तों पर निर्धारित करते।

लेकिन दिलचस्प यह है कि अब जब कृषि बिल वापस ले लिए गए हैं, तो वे किसान अपनी उपज बेचने के लिए उन्हीं भंडारण स्थलों तक पहुंच रहे हैं, जिनका वे पहले विरोध कर रहे थे। मंगलवार को अकेले कैथल में, भंडारण सुविधा में 2000 से अधिक माल वाहनों में आए 9800 मीट्रिक टन की खरीद दर्ज की गई।

2021 में जब आंदोलन अपने शिखर पर था, विरोध समूह अफवाहें फैला रहे थे कि अदाणी की भंडारण सुविधा 2020 में कृषि बिलों की घोषणा होने के साथ तैयार की गई थीऔर विरोधी अदाणी ग्रुप को नए कानून का वास्तविक लाभार्थी बता रहे थे।

फिलहाल मोगा और कैथल में अदाणी की उच्च तकनीक भंडारण सुविधाओं को साइलोस के रूप में भी जाना जाता है, जिन्हें 2007 में स्थापित किया गया था। उस समय, यह किसानों की उपज को सीधे इस भंडारण स्थल पर लाकर, किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की एक प्रगतिशील पहल थी, जिसके लिए एफसीआई ने अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स के साथ साझेदारी की थी। इसे एंड-टू-एंड प्रक्रिया के रूप में डिजाइन किया गया था, जिसमें अनलोडिंग से लेकर डिस्पैच तक शामिल था और जहां किसानों की सभी चिंताओं को दूर कर दिया गया था। आढ़तिया कहे जाने वाले बिचौलियों से निपटने के दौरान, जहां किसानों को उपज की साफ-सफाई और बोरियों में पैक करने के लिए भुगतान करना पड़ता है, वहीं इन हाई-टेक साइलो में भंडारण सुविधा के लिए किसानों को कोई कीमत नहीं देनी होती है। इस पहल का उद्देश्य कृषि व्यवसाय के फॉरवर्ड लिंकेज को मजबूत करना और किसानों के हाथों में झंझटों से मुक्त आमदनी रखना था।

जहां प्रगतिशील भंडारण सुविधाएं 2 साल से विवादों में घिरी हुई थीं, यह किसान ही हैं, जिनके लाभ के लिए इसे मुख्य रूप से बनाया गया था, और जिनको ही इससे हुआ नुकसान उठाना पड़ा है। लेकिन अबहम सब मिलकर स्थिति को संभालने के प्रयास में लगे हैं।
(जी.एन.एस)

India Edge News Desk

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